किश्किन्दा पूरी फिल्म

किश्किन्दा पूरी फिल्म का रिव्यु  

“किश्किन्दा पूरी” फिल्म जो एक तेलुगु सिनेमा कि हॉरर  फिल्मो में से एक है लेकिन कुछ लोगो का मानना ये है की फिल्म का असली मजा उसके हॉरर सीन मे है उसकी एडिटिंग में और जो उसका म्यूजिक हप्ता है उसमे लेकिन ऐसा नहीं है की हॉरर फिल्म का मजा उसकी एडिटिंग में हो बल्कि असली मजा तो उसकी कहानियों में होता है न की एडिटिंग में अगर हॉरर कहानी दमदार होनी चाहिए क्यूंकि अगर कहानी दमदार नहीं होगी तो सब कुछ धरा रह जाता है हॉरर फिल्म में डर हमेशा माहोल से ही नही आता बल्कि उसकी कहानी डरावनी होनी चाहिए जैसे एक फिल्म आई थी “द कांजुरिंग डॉल” उसकी जो कानी थी फिल्म की जैसे वो डॉल एक सेकंड में डरा देती थी वेसे ही और फिल्म पूरी नि डरा पाती क्यूंकि जो उसकी कहानी थी वो एक सच्ची घटना  थी एक बार इसे जरूर देखना .

और ऐसी ही कहानी की तरह जेसी ये कांजुरिंग डॉल की फिल्म है वेसी ही तेलुगु सिनेमा की फिल्म आई है अभी “किश्किन्दा पूरी” इसकी जो कहानी उसे देखकर ऐसा लगता है की किसी सच्ची घटना पर बनी हुई है ये फिल्म बिलकुल दिमाग हिला डालती है इन्होने ऐसा कंसेप्ट दिया है इस फिल्म को और ये ही इसकी सबसे बड़ी ताक़त है  लेकिन इसी के बाद एक और हॉरर फिल्म आई है   “मिरई” जैसी और रिकॉर्ड बना रही है जिसकी वजह से ये (किश्किन्दा पूरी ) डाउन रेटिंग में चल रही लेकिन हम सब को इसे ऊपर लेकर जाना है .

फिल्म की कहानी

इस फिल्म की कहानी एक पैरानोर्मल ग्रुप यानी (असाधारण समूह ) के चारो और घुमती है ये ग्रुप एक टूरिज्म ग्रुप होता है जो लोगो को डरावनी जंगाह पर ले जाता है यानी (haunted place) जैसे शेहरो में होता है की अलग अलग टूरिज्म ग्रुप होते है . वेसे ही ये ग्रुप अपने टीम के आदमियों को झूठे भूत बनाकर खड़े कर देता है और लोगो को अपनी बातो में बहलाकर ले जाता है डरावनी जन्गाहो पर और वो जंगाह ये खुद चूसे करता है और अपनी टीम के आदमियों को वंहा भेज देता है झूठे भूत बनाकर और वही लोगो को झूटी कहानी सुनाता है जिससे इस ग्रुप को पैसे मिलते है लेकिन असली मजा तो तब आता है जब ये ग्रुप एक रात को 11 लोगो को एक सच्ची डरावनी घटना के जंगाह ले गया और रात को वही रुकने का फैसला कर लेते है बिना किसी तैयारी के अब इन्हें क्या पता था की रात की इनकी ज़िन्दगी की आखरी रात होगी जैसे ही सुबह ह्हुई तो एक गाँव का लड़का वंहा से गुज़रा और बोला तुम जितने भी हो सब के सब मारे जागे वो किसी को नही छोड़ेगी लेकिन इस ग्रुप को लगा की ये झूट बोल रहा है और वो ग्रुप वंहा से बहार निकल आया उस लड़के ने फिर कहा की ये मत समझना की तुम बहार आ गये तो बच गए वो किसी को नहीं छोड़ेगी ऐसा कहकर वो लड़का चला गया ….. आप लोगो को लग रहा होगा की बाकी हॉरर फिल्मो की तरह इसमें भी कोई आत्मा होगी लेकिन ऐसा नही है इसमें सब उल्टा हो गया क्यूंकि इसमें एक “रेडियो” है जिसे वो बोलती है वही मर जाता है इसको देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कोई इस ग्रुप से दुश्मनी निकाल रहा हो …

फिल्म के डायरेक्शन और पर्फोर्मांस

बात करे अगर फिल्म के डायरेक्शन और पर्फोर्मांस की दोनों ही न कमाल करदिया क्यूंकि एक तो फिल्म का निर्देशन अच्छा है इनका और बैकग्राउंड की बात करे तो उसका स्कोर डर पैदा करता है बहुत क्यूंकि इन्होने सीन ही इसे लिए है और पर्फोर्मांस भी कमाल की है .

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